अरसे बाद कांग्रेस ने दिखाया दम, गोदियाल के स्वागत में उमड़ा जनसैलाब।

0
5

लोकसभा चुनाव में बलूनी को दे चुके हैं कड़ी टक्कर

भाजपा नेताओं के बड़बोलेपन पर हमेशा दिया सौम्य जवाब।

2016 में कांग्रेस में फूट और टूट के बाद कांग्रेस को भाजपा के हाथों हर चुनाव में मात खानी पड़ी,विधान सभा हो या लोकसभा चुनाव ,भाजपा ने अजेय बढ़त बनाए रखी,निकाय चुनाव में भी भाजपा अपने मेयरों को जिताने में सफल रही ,नगर पालिका और नगर पंचायतों में जरूर कांग्रेस में कुछ सीटों पर अपना दम दिखाया और वह सीटें अधिकांश गढ़वाल लोकसभा की ही थी,पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस को फिर मात दी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा और मायूसी का कोहरा छा गया। लेकिन गणेश गोदियाल के अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश चरम पर दिखने लगा, देहरादून एयरपोर्ट पर गोदियाल के स्वागत में उमड़ी भीड़ अरसे बाद देखने को मिली, कांग्रेस ही नहीं भाजपा के नेताओं के लिए भी इस तरह की भीड़ देखने को नहीं मिली।

दरअसल गणेश गोदियाल अपनी स्वच्छ और ईमानदार छवि के साथ ही ठेठ पहाड़ी और जमीनी होने के कारण उत्तराखंड के उन चंद नेताओं में शुमार हैं जिनकी स्वीकार्यता आम जनमानस के साथ ही सभी दलों के कार्यकर्ताओं में भी है,अकसर अन्य दलों के नेताओं के मुख से ये सुनना सामान्य है कि भई गोदियाल अच्छा नेता है।

गोदियाल पहाड़ और युवाओं के लिए अपना अलग विजन रखते हैं,इसीलिए वह सर्वस्वीकार्य भी हैं,गैरसैण को राजधानी बनाने को लेकर भी वह अपना रुख बाकी नेताओं की तुलना में स्पष्ट करते हैं , भू कानून पर भी वह बेबाक रहे ,मंदिर समिति में तथाकथित सोना घोटाला,नियुक्ति सहित तमाम आरोपों पर खुली चुनौती देने वाले गोदियाल हमेशा भाजपा पर भारी पड़ते दिखे,कुलमिलाकर गोदियाल जिन मुद्दों को आम जनमानस की भाषा में उठाते हैं वह सभी को छू जाते हैं,और इसलिए धीरे धीरे उनकी स्वीकार्यता कांग्रेस में बढ़ती गई और आज गोदियाल कांग्रेस का मुख्यमंत्री का चेहरा बनकर उभर गया है,इसमें कोई दो राय नहीं की कांग्रेस सत्ता में आई तो गोदियाल हाईकमान के मुख्यमंत्री के पद के सबसे चहेते चेहरे होंगे।

2027 के चुनाव में सिर्फ एक वर्ष का समय बाकी है, पहाड़ में एक ओर भालू,तेंदुआ से जानमाल का और मवेशियों की हानि का मुद्दा चरम पर वही,पलायन,बेरोजगारी आपदा सहित अनेक ऐसे ज्वलंत विषय हैं जिनपर भाजपा को जनता के बीच जाकर जवाब देना है,भाजपा के पास गढ़वाल में एक अदद नेता नजर नहीं आता ,यूं कहे कि बड़े नेता का अकाल है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, गढ़वाल सांसद बलूनी को तो लोगों ने प्रवासी सांसद कहना शुरू कर दिया और वह अपने पिछले कार्यकाल और इस समय के कार्यकाल में कोई खास छाप नहीं छोड़ पाए,वह केवल खबरों में बने रहते हैं,जमीनी हकीकत से वह भी दूर ही हैं,धन सिंह रावत पर भ्रष्टाचार के आरोप आए दिन लगते आए हैं,और वह अपनी ही विधान सभा में घिरे रहते हैं,सतपाल महाराज ,तीरथ सिंह,सुबोध उनियाल और स्वय महेंद्र भट्ट भी सरकारी और पार्टी के कार्यक्रमों तक सीमित रह गए।भाजपा की इस निष्क्रियता को गोदियाल कितना भुना पाते हैं ये आने वाला समय ही बताएगा, बहर हाल स्वागत कार्यक्रम में भीड़ जुटाकर गोदियाल ने साबित कर दिया कि वो आने वाले समय में उत्तराखंड के बड़े नेता बनकर जरूर उभर गए।