साहित्य किसी भी युग का मात्र दस्तावेज नही होता, बल्कि वह समाज की अनुभूतियों विचार धराओं और मूल्यों का जीवत प्रतिबिंव है: निशंक

प्रसिद्व साहित्यकार और भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि साहित्य किसी भी युग का मात्र दस्तावेज नही होता, बल्कि वह समाज की अनुभूतियों विचार धराओं और मूल्यों का जीवत प्रतिबिंव होता है। साहित्य ने सदैव समाज को दिशा देने का प्रयास किया है।

डॉ0 निशंक ने यह बात गाँधीनगर गुजरात में दो दिवसीय साहित्य प्रयाग कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये कही। गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा ‘साहित्य, समाज और संस्कृति का अंर्तसम्बध’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देशभर से आये वरिष्ठ साहित्यकारों और रचना धर्मियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ0 भाग्येश झा एवं महासचिव डॉ0 जयेन्द्र सिंह जाधव ने अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर डॉ0 निशंक का सम्मान किया। केन्द्रीय साहित्य अकादमी के कार्यवाहक समिति के सदस्य नरेन्द्र पाठक एवं संगीत नाटक अकादमी दिल्ली की अध्यक्ष डॉ0 संध्या पुरेचा ने डॉ0 निशंक का स्वागत किया।

इस अवसर पर डॉ0 निशंक द्वारा साहित्यकारों का सम्मान एवं पुरूष्कार वितरण किया गया। इसके तहत श्री जवाहर बख्शी को अमृत गजल पारितोषिक सम्मान में एक लाख रूपये, सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह तथा बाल साहित्य पारितोषिक सम्मान 82 वर्षीय श्री रमेश चिलेदी को प्रदान किया, जिसमें पजार हजार रूपये, सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। यह दोनों सम्मना गुजरात साहित्य अकादमी की तरफ से प्रदान किये गये।

इसके अतिरिक्त डोगरी भाषा के विद्वान पदमश्री मोहन सिधं, केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरूष्कार प्राप्त श्री हर्षदेव माधव, श्री विजय पाण्ड्या, गुजराती भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार श्री बलवन्त जानी, श्री मोहन सिंह परमार आदि साहित्यकारों को भी डॉ0 निशंक द्वार सम्मान किया गया।

इस अवसर पर केन्द्रीय सिंध भाषा साहित्य अकादमी के समन्वयक मोहन हिमथाणी, महाराष्ट्र राज्य गुजराती साहित्य अकादमी के अध्यक्ष स्नेहल मजूमदार सहित अनेकों विद्वतजन और साहित्य साधक उपस्थित थे।