जेएनयू के छात्रों को प्रेरित करेगी स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा

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मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम में बोले निशंक- एक नरेंद्र के विजन को साकार कर रहे हैं दूसरे नरेंद्र

नई दिल्ली। भारतीयता के प्रतीक और भारतीय ज्ञान परंपरा के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर रहे स्वामी विवेकानंद ने न केवल दुनिया में भारतीय वैदिक दर्शन को पहचान दिलाई, बल्कि उन्होंने संसार को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का एहसास भी कराया। युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी का भारत के प्रति अनूठा विजन था। वह विजन अब साकार होने जा रहा है।
यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण कार्यक्रम (वर्चुअल) में कही। उन्होंने कहा कि एक नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) के विजन को दूसरे नरेंद्र (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) साकार करने जा रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री स्वामी जी के विजन को मिशन में बदल रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री योग, पर्यावरण इत्यादि क्षेत्रों में भारत को सिरमौर बनाकर विश्व के सामने भारत की इस क्षेत्र में पहचान बनाना चाहते हैं। स्वामी जी विश्व में शांति स्थापित करने के पक्षधर थे, हमारे प्रधानमंत्री भी पूरे विश्व में शांति चाहते हैं। अधिकांश देश भारत के इस दृष्टिकोण से सहमत होने लगे हैं। स्वामी जी ने कहा था कि जितनी बड़ी कठिनाई होती है, उतनी बड़ी जीत होती है। नरेंद्र मोदी जी ने भी इसी तर्ज पर कोविड-19 जैसे विश्वव्यापी संकट से निपटने में संयम का परिचय देकर आपदा को अवसर में बदलने का ऐतिहासिक कार्य किया है।
डाॅ. निशंक ने कहा कि स्वामी जी का शिकागो में दिया गया ऐतिहासिक भाषण विश्व पटल पर हिंदुस्तान की शैक्षणिक धरोहर की अमिट छाप के रूप में अंकित है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. निशंक ने कहा कि ऐसी महान हस्ती का मूर्ति जेएनयू जैसी संस्था में स्थापित होना यहां के छात्रों के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह प्रतिमा हमें और हमारी भावी पीढ़ियों को उनके मूल्यों, दर्शन और देश के प्रति चिंतन की याद दिलाती रहेगी। मुझे आशा है कि हमारे युवा छात्र-छात्राएं स्वामी जी केक आदर्शों पर आगे बढ़ते हुए देश-दुनिया में भारतीयता को अपने पुरुषार्थ एवं विद्वता से नई पहचान दिलाएंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि शैक्षिक क्षेत्र में जेएनयू की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में इस संस्था ने एनआईआरएफ रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन किया है। इस बार यह एनआईआरएफ रैंकिंग में दूसरे स्थान पर रहा। यह उत्साहजनक है कि कि जेएनयू ने नेशनल सिक्योरिटी, इंजीनियरिंग, डिजास्टर मैनेजमेंट, नाॅर्थ-ईस्ट स्टडीज जैसे नए सेंटर खोले हैं।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जगदीश कुमार, प्रो. वीसी प्रो. आरपी सिंह आदि उपस्थित थे। प्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी ने इस मौके पर प्रस्तुति दी।

-नई शिक्षा नीति स्वामी विवेकानंद के विजन पर आधारितः मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का विजन अनूठा था। वे दूरदर्शी थी। वे भविष्यद्रष्टा थे। स्वामी विवेकानंद जैसे एक संन्यासी ने पूरे विश्व में भारत का परिचय कराया। वे जानते थे कि भारत दुनिया को क्या दे सकता है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति स्वामी विवेकानंद के दर्शन पर आधारित है। इसमें आत्मविश्वास, उत्कृष्ट चरित्र और आत्मनिर्भरता प्रमुख हैं।
जवाहर लाल विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के अनावरण मौके पर बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद विश्वबंधुत्व का संदेश लेकर विश्व में गए थे। वह ऐसा दौर था, जब चारों ओर हताशा और निराशा थी। स्वामी जी ने मिशिगन यूनिवर्सिटी में भाषण दिया था कि यह शताब्दी आपकी है, लेकिन अगली शताब्दी भारत की होगी। प्रधानमंत्री ने युवाओं और छात्रों का आह्वान किया कि स्वामी जी की इस भविष्यवाणी को आप लोगों को साकार करना है। उन्होंने कहा कि यह मूर्ति भारतीयों के जज्बे को समेटे हुए है। यह प्रतिमा एकता के विजन का प्रतीक बनेगी। यह मात्र एक प्रतिमा नहीं, बल्कि विचारों की ऊंचाइयों की प्रतिमा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आत्मनिर्भर भारत का विचार बढ़ रहा है। यह आत्मनिर्भरता व्यापक दायरे में होगी। कार्य ही नहीं, हमारी सोच और संस्कारों में भी आत्मनिर्भरता होनी चाहिए। हम देश में विभिन्न सुधार कर रहे हैं। पहले इसके लिए एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है, ताकि लोगों का इन पर विश्वास हो। कृषि क्षेत्र में हम इनमें सफल रहे हैं।
उधर, मूर्ति के अनावरण मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिखायी देते ही ’वंदे मातरम्, वंदे मातरम्’ का घोष सुनायी दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया।

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