सीबीआई जांच के आदेश,अब क्या करेंगे त्रिवेंद्र रावत?

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कोर्ट के आदेश के बाद फिर मुश्किल में पड़े उत्तराखंड के सीएम

देहरादूनः कुछ दिन पहले अपने ही कुछ विधायकों के कोपभाजन बने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर मुश्किलों से घिर गए हैं। इस बार मामला कोर्ट का है। रिश्वत के मामले में नैनीताल हाइकोर्ट की एकल पीठ ने पत्रकार उमेश कुमार की रिट याचिका पर त्रिवेंद्र रावत की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार है, जब कोर्ट ने किसी सीएम के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हों।


24 जून, 2020 को उमेश कुमार ने सोशल मीडिया के पेज पर कुछ तथ्य प्रस्तुत कर आरोप लगाया था कि वर्ष, 2016 में नोटबंदी के बाद डाॅ. हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी सविता रावत के खातों के जरिये उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिश्वत ली। सविता रावत त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी की सगी बहन हैं।


उधर, 9 जुलाई, 2020 को डाॅ. रावत ने पत्र देकर पुलिस से आग्रह किया कि उन पर उमेश कुमार द्वारा लगाए आरोपों की जांच कराई जाए। उन्होंने स्वयं पर लगे आरोपों को खारिज किया था। डाॅ. हरेंद्र सिंह रावत ने उमेश कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने और अपने लिए सुरक्षा की मांग भी पुलिस से की थी। पुलिस ने मामले की जांच देहरादून के नेहरू नगर की क्षेत्राधिकारी (सीओ) पल्लवी त्यागी को सौंपी। पुलिस ने जांच में पाया कि नोटबंदी के दौरान डाॅ. रावत और उनके परिजनों के बैंक खातों में झारखंड से कोई पैसा जमा नहीं कराया गया। इसके अलावा उमेश कुमार ने भ्रष्टाचार के अन्य कई गंभीर आरोप त्रिवेंद्र रावत पर लगाए थे।
इस मामले को गलत मानते हुए उमेश कुमार व अन्य के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से आईपीसी की धारा 420,467,468,469,471 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया गया। बाद में राज्य सरकार ने उमेश कुमार और अन्य के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज कराया गया। इस मामले में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने उमेश कुमार और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को क्वेश करते हुए उमेश कुमार द्वारा त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं,उनकी सचाई सामने आनी चाहिए। इन संदेहों का स्पष्ट होना राज्यहित में होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई को इन आरोपों के आधार पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए।
गौरतलब है कि यह उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार है, जब कोर्ट ने किसी मुख्यमंत्री के के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हों। इस फैसले के बाद त्रिवेंद्र रावत की और किरकिरी हुई है। त्रिवेंद्र रावत को घेरने के लिए विरोधियों के लिए यह बेहतरीन अस्त्र हो सकता है। अब देखना यह है कि त्रिवेंद्र रावत इस मामले के बाद कितने हाथ-पैर मारते हैं। यदि वे पाक-साफ हैं तो उन्हें मामले की सहर्ष सीबीआई जांच कर कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

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