सलाहकार ने बाॅस को बना दिया दागदार

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के सलाहकार के.एस. पंवार की कंपनी में मनी लांड्रिंग

लाॅकडाउन के दौरान पंवार के चैनल पर पानी की तरह बहा दिया पैसा

देहरादून। आप कितने ही ईमानदार हो, आपकी सरपरस्ती में घपले-घोटाले हो रहे हों तो आप ईमानदार कहलाने के हकदार नहीं रह जाएंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ’जीरो टाॅलरेंस’ के आवरण में खुद को चार साल बेदाग, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ साबित करने का प्रयास करते रहे, लेकिन उनके औद्योगिक सलाहकार के.एस. पंवार भ्रष्टाचार का खेल खेलते रहे। वे त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्रित्वकाल में लगभग 300 करोड़ की मनी लांड्रिंग कर गए और उनके चैनल नेपाल-1 को मुख्यमंत्री ने पैसे से निहाल कर दिया। ऐसे अनेक मामले हो सकते हैं, जिनकी परतें अब खुल सकती हैं।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के तुरंत बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने उद्योग और शिक्षा सलाहकारों की नियुक्ति कर ली थी। उद्योग सलाहकार जाने-माने उद्योगपति के.एस. पंवार और शिक्षा सलाहकार डाॅ0 अनिल बलूनी बनाए गए। त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्रित्वकाल के इन चार सालों में राज्य के उद्योग और शिक्षा किस स्थिति में रही, यह सभी जानते हैं, उल्टे उनके उद्योग सलाहकार के.एस. पंवार मनी लांड्रिंग का कारनामा कर गए। वह भी कम नहीं, लगभग 300 करोड़ की। उन्हांेने यह अपनी कंपनी सोशल फाइनेंस के माध्यम से यह कारनामा किया। बताया गया कि ढाई लाख लोगों ने यह पैसा निवेश किया है, जबकि इन नाम-पतों वाले निवेशकों ने इससे इन्कार कर दिया। यदि सोशल फाइनेंस ने लोगों के फर्जी नाम-पते दर्शाए तो यह भोले-भाले लोगों के साथ भी धोखा है। यह भी खुलासा हुआ है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते के.एस. पंवार और भतीजे की कंपनी में 180 करोड़ रुपये आए हैं। यह बड़े घपले का संकेत है।


त्रिवेंद्र रावत काल में 1 अप्रैल, 2020 से उनके मुख्यमंत्री काल तक विभिन्न न्यूज चैनलांे को लगभग 17 करोड़ रुपये के विज्ञापन जारी किए गए, जबकि इस दौरान कोविड-19 के कारण लाॅकडाउन था। राज्य जब आर्थिक संकट में चल रहा था तो पानी की तरह पैसा बहाने की क्या जरूरत थी। ऐसी कौन-सी उपलब्धियां थीं, जो सरकार को टीवी चैनलों के माध्यम से दिखानी थीं। यही नहीं, के.एस. पंवार के न्यूज चैनल नेपाल-1 की बहुत कम दर्शक संख्या होने के बावजूद इस चैनल को इस काल खंड में लगभग एक करोड़ के विज्ञापन दिए गए। के.एस. पंवार पर त्रिवेंद्र रावत की यह दरियादिली सवालों के घेरे में है। हास्यास्पद यह है कि घाट रोड के चैड़ीकरण की मांग कर रही महिलाओं पर लाठीचार्ज किया जाता है, लेकिन सरकार का यशोगान करने वालों पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। सवाल यह भी है कि चार साल तक सीएम के औद्योगिक सलाहकार रहे के.एस. पंवार ने कौन-सी ऐसी सलाहें दीं, जो राज्य की समृद्धि, विकास और रोजगार की दृष्टि से उपयोगी हों?
निजी स्कूलों की मनमानी से त्रस्त अभिभावकों को भी त्रिवेंद्र रावत अपने राज में कोई निजात अथवा राहत नहीं दिला पाए। निजी स्कूल लाॅकडाउन की अवधि की भी फीस वसूलते रहे और बढ़ी हुई फीस अक्टूबर से लागू कर दी गयी। जनता मांग करती रही कि स्कूलों की फीस वसूली इत्यादि मनमानियों पर अंकुश के लिए एक्ट बनाया जाए, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। बताया जाता है कि सीएम त्रिवेंद्र रावत के सलाहकार के.एस. पंवार और शिक्षा सलाहकार डाॅ0 अनिल बलूनी देहरादून में पार्टनरशिप में एक नामी स्कूल चलाते हैं। संभवतः सलाहकारों के दबाव के चलते भी त्रिवेंद्र सरकार निजी स्कूलों के लिए कोई एक्ट नहीं बना पायी हो।

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