मुख्यमंत्री के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं धन सिंह के अधिकारी

रोक के बाद रातों-रात तैनाती से जांच समिति के अस्तित्व पर भी सवाल

देहरादून। नियुक्तियों को लेकर चर्चा में रहे जिला सहकारी बैंक में घपले और घोटाले किसकी शह पर हो रहे हैं,इसे लेकर अब परत दर परत उधड़ने लगे है। शासन स्तर से अभी इन पदों पर भर्ती और चुने गये कर्मियों की ज्वाइनिंग पर भी रोक लगाई गई है,लेकिन इसके अलावा भी एक सच और है। ज़िला सहकारी बैंक देहरादून,ऊधमसिंहनगर तथा पिथौरागढ़ में परिणाम पहले घोषित कर दिया गया था। बताया जाता हैं कि ज़िला सहकारी बैंक देहरादून में 29 मार्च को रातो रात कुछ कर्मियों को ज्वाइनिंग के साथ तैनाती स्थल भी आवंटित कर दी गई। जब भर्ती पर पूरी तरह से रोक है तो फिर रातों रात ज्वाइनिंग कैसे हुई? इसके अलावा कोई अदालत का निर्देश इन नियुक्तियो को लेकर हुआ है? निवन्धक सहकारी समितियां भी ऐसे मामलो को जांच शासन स्तर से गठित समिति के द्वारा करने की बात कर रहे है। ऐसे में सवाल लाजिमी हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह के निर्देशों को अधिकारी किस तरह से बाइपास कर रहे हैं। अगर, वह ऐसा कर रहे हैं तो फिर रोक के बाद मनमानी और जांच दोनों ही चलेगी और जांच का क्या नतीजा रहेगा इसको लेकर कोई संशय नहीं है,क्योंकि जांच भी विभागीय मंत्री के मुताबिक ही होगी।


गौरतलब है की 400 से अधिक चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों की नियुक्ति में करोड़ों के लेनदेन के आरोप भाजपा के ही विधायकों ने लगाए थे। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भर्ती पर रोक के निर्देश दिए और शासन ने गड़बड़ियों को लेकर समिति का गठन कर दिया। जिस तरह से रातों-रात ज्वाइनिंग और तैनाती हो रही है उससे समिति के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े हो गये है।

LEAVE A REPLY