दुःखियों के आंसू पोंछने निकली आरुषि

’स्पर्श गंगा’ अभियान के माध्यम से कोरोना पीड़ितों को बांट रहीं दवा और राशन

देहरादून। यह कोरोना काल आदमी को दुःख और लाचारगी देने के साथ ही कुछ सीख भी दे गया है। इसने इन्सानियत और अपनों की पहचान भी करा दी है। मानवता के पुजारी और समाजसेवक इन दिनों दिल खोलकर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ0 रमेश पोखरियाल की बेटी आरुषि निशंक इन्हीं लोगों में शुमार है। वे उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को मेडिकल किट के साथ ही राशन और सैनिटाइजर इत्यादि वितरित करवा रही हैं। वे इस कल्याणकारी कार्य को अपने स्वयंसेवी संगठन ’स्पर्श गंगा’ अभियान के माध्यम से करा रही हैं।

आरुषि निशंक उत्तराखंड के साथ ही देश में जाना-पहचाना नाम है। वे जितनी अधिक समाजसेवा के क्षेत्र में जानी जाती हैं, उतनी ही उनकी पहचान अभिनय के क्षेत्र में भी है। अपने अभिनय की शुरुआत टी-सीरिज के गीत ’वफा न रास आयी’ से करने वाली आरुषि पर्यावरणविद और फिल्म निर्माता भी हैं। इस कोविड काल में वे जरूरतमंदों की मदद करने को लेकर प्रसिद्धि और लोकप्रियता हासिल कर रही हैं। 2008 में गंगा की स्वच्छता और अविरलता के उद्देश्य से शुरू किए गए ’स्पर्श गंगा’ अभियान की सहसंस्थापक आरुषि कोविड प्रभावित क्षेत्रों में इन दिनों मेडिकल किट भिजवा रही हैं। वे उक्त लोगों को राशन (आटा, चावल, दाल, चाय पत्ती, बिस्कुट), आॅक्सीजन कंसंटेटर,, मास्क, स्टीमर, पीपीई किट, सैनिटाइजर, थर्मामीटर, आॅक्सीमीटर भी पहुंचवा रही हैं। संदीप अग्रवाल फाउंडेशन और ’स्पर्ष गंगा’ अभियान के संयुक्त प्रयासों से किए जा रहे इस कार्य से अनेक लोगों को मदद पहुंच रही है। कुछ सामान हरिद्वार जिला प्रशासन को सौंपे जाने के साथ ही उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों में भी यह सामान भेजा जाएगा। आरुषि और उनकी ’स्पर्श गंगा’ टीम ने कोरोना मरीजों को बेड-उपचार उपलब्ध करवाने और अन्य सुविधाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है।
इस संबंध मंे आरुषि निशंक कहती हैं कि यह इन्सानियत को साबित करने का उचित समय है। दुःख और संकट में किसी की मदद अवश्य करनी चाहिए। हमें दुःखी और बीमार लोगों के साथ खड़े होकर उनका दुःख दूर कर सकते हैं। मनुष्य को ऐसे संकटकाल में विभन्न प्रकार के भेदभाव भुलाकर मदद के लिए आगे आना चाहिए।

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