मुश्किल में मंत्री जी: प्रजा का कोपभाजन बने धनसिंह



सड़क की मांग पर चैथान के लोगों ने मंत्री गाड़ी रोकी, इससे पहले भी हुआ था घेराव

पैठाणी डिग्री काॅलेज में 11 कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का भी है आरोप

देहरादून। बड़बोले मंत्री धन सिंह रावत अपनी अकर्मण्यता और कारनामों के कारण लगातार चर्चाओं में आ रहे हैं। सड़क जैसी मूलभूत सुविधा न मिलने से आक्रोशित उनके क्षेत्र की जनता ने हाल ही में उनका रास्ता रोक दिया, लेकिन मंत्री की ऐंठन देखिए कि गाड़ी से नीचे तक नहीं उतरे। इससे पहले भी ऐसा ही वाकया उनके साथ हो चुका है। पैठाणी डिग्री काॅलेज में 11 तृतीय श्रेणी कर्मियों की नौकरी खाने का पाप इन्हीं मंत्री महोदय के सिर पर है तो पाबौ को चंडीगढ़ जैसा शहर बनाने का उनका दावा फुस्स हो चुका है। उनके अधीन सहकारी विभाग में हुए घपले पर मुख्यमंत्री आंखें तरेर चुके हैं। वहीं,उच्च शिक्षा में गेस्ट टीचर की दयनीय दशा किसी से छिपी नहीं है।
श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डाॅ0 धनसिंह रावत उच्च शिक्षा, सहकारिता, दुग्ध विकास और प्रोटोकाॅल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। मोदी लहर में गणेश गोदियाल जैसे कद्दावर नेता को हराकर 2017 में पहली बार विधायक बने धनसिंह से क्षेत्र के लोगों को बहुत अपेक्षाएं थीं, लेकिन अब उनकी उम्मीदें धूमिल होने लगी हैं। जिस हिसाब से विकास के लिए तरसते लोग आए दिन उनका घेराव कर रास्ता रोक रहे हैं। हाल ही में चैथान क्षेत्र में भ्रमण पर गए धनसिंह रावत उस समय मुश्किल में फंस गए, जब बीच सड़क में लोगों ने उनकी गाड़ी रोक ली और उनसे आमने-सामने बात करने की मांग कर डाली। उत्तेजित ग्रामीण मंत्री से जवाब मांगने पर आमादा थे, लेकिन मंत्री गाड़ी से उतरे नहीं। इससे लोग और आग बबूला हो गए। लोगों का कहना था कि मंत्री के पास जवाब न होने के कारण वे गाड़ी से नीचे नहीं उतर सके। मामला यह है कि चैथान पट्टी के स्यूंसाल गांव में पिछले दिनों मंत्री धनसिंह ने सड़क के निर्माण कार्य का उद्घाटन किया था, लेकिन आज तक सड़क गांव में नहीं पहुंच पायी। इससे लोग बहुत आक्रोशित थे।

 

हाल ही में धननसिंह रावत के क्षेत्र भ्रमण की खबर पाकर लोग मुख्य मार्ग पर एकत्र हो गए और उनकी गाड़ी रोक दी। काफी देर तक गहमागहमी होती रही। ग्रामीणों ने मंत्री से आमने-सामने बात करनी चाही, लेकिन धनसिंह रावत गाड़ी में ही बैठे रहे। उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि गेस्ट हाउस में इस प्रकरण पर बात करेंगे, पर लोग अपनी मांग पर अड़े रहे। काफी हंगामे के बाद मामला किसी तरह शांत हो पाया। कुछ महीने पहले भी विकास कार्यों को लेकर धनसिंह के विधानसभा क्षेत्र में जनता ने उनका घेराव किया था।
बताते चलें कि धनसिंह ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में पैठाणी डिग्री काॅलेज के 11 तृतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को इसलिए नौकरी से हटवा दिया कि कथित तौर पर वे गणेश गोदियाल के आदमी हैं। हालांकि बहाना यह बनाया गया कि राज्य में तृतीय श्रेणी की स्थायी नियुक्तियों पर रोक है।
यही नहीं, एक कार्यक्रम में डाॅ0 धन सिंह रावत ने वादा किया था कि पाबौ को चंडीगढ़ से भी बेहतरीन शहर बनाएंगे, लेकिन पाबौ में ऐसा कुछ भी नहीं दिखायी दे रहा है।
धनसिंह रावत के अधीन आने वाले सहकारी बैंक के कर्मचारियों की भर्ती में घोटाला सामने आने से भी उनकी खासी किरकिरी हुई है। 412 पदों पर भर्ती प्रक्रिया में इंटरव्यू और शारीरिक परीक्षा संपन्न हो गयी थी, लेकिन राज्यमंत्री स्वामी यतीश्वरानंद और विधायक सुरेश राठौर ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और लेनदेन के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री तीरथसिंह रावत से शिकायत की थी। इस पर सरकार ने भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी। एक अभ्यर्थी ने तो इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक कर दी थी।
उधर, धनसिंह की सरपरस्ती में चल रहे राजकीय महाविद्यालयों में कार्य करने वाले गेस्ट प्राध्यापकों की स्थिति बहुत खराब है। बताया जाता है कि उन्हें पीरियड के हिसाब से भुगतान किया जाता है। लगातार ड्यूटी करने के बावजूद भी यदि पीरियड कम हुए तो बहुत कम पैसा उन्हें मिलता है। कभी-कभी तो 3-4 हजार में ही गुजारा करना पड़ता है। गेस्ट प्राध्यापक की जगह कोई स्थायी नियुक्ति हो गयी तो गेस्ट प्राध्यापक को मुक्त कर दिया जाता है। ऐसे में आपातकाल में महाविद्यालयों में सेवा देने वाला प्राध्यापक एक दिन पैदल हो जाता है। यह भी पता चला है कि आयोग के तहत काॅलेजों के लिए की गयी असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में मैदानी क्षेत्रों से भारी संख्या में पहाड़ में अभ्यर्थी आ चुके हैं, जबकि वर्षों से यहां गेस्ट आधार पर पढ़ा रहे अस्थायी प्राध्यापक बाहर हो रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर ऐसे अनेक अस्थायी प्राध्यापकों ने बताया कि मंत्री महोदय के पास हम लोग कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन वे सुनने को तैयार ही नहीं हैं।
बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को जब मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया तो मुख्यमंत्री के लिए धनसिंह रावत का नाम सबसे अधिक चर्चा में रहा। ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे भी एक योजना बतायी जा रही है। एक नया विधायक किस आधार पर मुख्यमंत्री बनता, यह अपने में बड़ा सवाल था, लेकिन बताया जा रहा है कि यह नाम किसी गुप्त योजना के तहत चलाया गया। बहरहाल, अपने क्षेत्र में लोगों का विरोध देखते हुए धनसिंह को अब वहां जाने से पहले दस बार सोचना पड़ रहा होगा।

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