कोश्यारी की होशियारी-एक तीर से दो शिकार

चेले पुष्कर धामी को दिलवाया ताज, पालाबदलू शिष्यों त्रिवेंद्र-धनसिंह को दिया ’दंड
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी का आशीर्वाद पुष्करसिंह धामी के लिए फलीभूत हो गया। कोश्यारी से वर्षों की नजदीकियों ने धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया, जबकि सतपाल महाराज, त्रिवेंद्रसिंह रावत, धनसिंह रावत, हरकसिंह रावत जैसे दिग्गज देखते रह गए। सबसे बड़ा धक्का तो सतपाल और धनसिंह को लगा है।
पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की बागडोर सौंपे जाने को अप्रत्याशित माना जा रहा है, क्योंकि इसके लिए अनेक दिग्गज लाइन में थे, परंतु सबकी अपनी-अपनी कमियां थीं। इसलिए भाजपा ने 2022 के चुनावों के दृष्टिगत और पार्टी की बुरी होती गत को सुधारने के लिए पुष्कर को सीएम की कुर्सी सौंपनी पड़ी, क्योंकि वे बेदाग, निर्विवाद और अनुभवी हैं। सबसे बड़ी बात कि वे भगतसिंह कोश्यारी जैसे खांटी नेता के शिष्य हैं, जिन भगतसिंह कोश्यारी में संघ में गहरी पैठ है। बताया जाता है कि धामी को भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाने और खटीमा से विधायक का टिकट दिलाने में भी कोश्यारी का हाथ रहा।
बताया जाता है कि कुछ खामियों के कारण भगतसिंह कोश्यारी को अपने पूर्व चेलों त्रिवेंद्र और धनसिंह को पीछे छोड़ना पड़ा। इसलिए सीएम की कुर्सी हासिल करने के लिए की गयी त्रिवेंद्र और धनसिंह की जुगलबंदी भी काम नहीं आ पायी। अर्थात् कोश्यारी ने त्रिवेंद्र और धनसिंह से अधिक विश्वसनीय पुष्कर सिंह को मान लिया। पुष्कर सिंह धामी भगतसिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके जनसंपर्क अधिकारी भी रह चुके हैं। बताया जाता है कि कोश्यारी पुष्करसिंह धामी पर बहुत प्रसन्न रहते हैं। बताया यह भी जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत भी पहले भगतसिंह कोश्यारी के खास शिष्यों में शुमार थे, लेकिन जबसे त्रिवेंद्र मुख्यमंत्री बने, तब से कोश्यारी और त्रिवेंद्र के रिश्तों में कड़वाहट आ गयी। उधर, त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद धनसिंह ने भी कोश्यारी का पाला बदल लिया। इसलिए कोश्यारी ने अपने पसंदीदा लोगों की सूची में से त्रिवेंद्र और धनसिंह का नाम हटा लिया। त्रिवेंद्र के बाद तीरथसिंह मुख्यमंत्री बने तो कोश्यारी कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन इस तीरथ को भी कुर्सी से हटाया गया तो कोश्यारी के हाथ एक बढि़या मौका लग गया और उन्होंने एक तीर से दो शिकार कर दिए। जिस शिष्य पर प्रसन्न थे, उसे पुरस्कार और जिन शिष्यों पर नाराज थे, उन्हें दंड दे दिया।
बता दें कि भगतसिंह कोश्यारी जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे तो उन दिनों धनसिंह रावत भाजपा के कुमाऊ प्रभाग के संगठन मंत्री थे और कोश्यारी से धनसिंह के बहुत ही मधुर संबंध थे, लेकिन सत्ता में आकर मंत्री बनने के बाद धनसिंह सातवें आसमान पर चले गए और उन्होंने कोश्यारी से दूरी बना ली। इस स्थिति में कोश्यारी त्रिवेंद्र और धनसिंह दोनों से सख्त नाराज हो गए। ऐसी स्थिति में इस समय कोश्यारी के पास जो मौका आया, उन्होंने इसका फायदा उठा लिया। उन्होंने एक तीर से दो शिकार कर डाले।

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